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इन्सॉल्वेंसी रेगुलेटर द्वारा जारी संशोधित तकनीकी दिशा-निर्देशों के अनुसार, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में अब PAN Card को अन्य आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेजों (Officially Valid Documents- OVDs) के समान पहचान सत्यापन (Identity Verification) के लिए मान्यता दी गई है। यह बदलाव वित्तीय लेन-देन को अधिक आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
PAN Card को पहचान सत्यापन के रूप में मिली मान्यता
अब PAN Card को पहचान सत्यापन के लिए आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी गई है। भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा बुधवार को जारी किए गए संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में पैन कार्ड को एक OVD की तरह स्वीकार किया जाएगा। इससे वित्तीय लेन-देन से जुड़े उपयोगकर्ताओं की पहचान को सत्यापित करना आसान होगा।
सूचना उपयोगिता (Information Utility – IU) देनदारों से जुड़ी वित्तीय जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस में संग्रहीत करती हैं और गलत सूचनाओं को खत्म कर देती हैं। यह दिवालियापन प्रक्रिया में देरी और विवादों को कम करने में मदद करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से वित्तीय प्रक्रियाएं ज्यादा पारदर्शी होंगी और कारोबारियों के लिए भी यह लाभकारी साबित होगा।
कॉर्पोरेट देनदारों की जानकारी के लिए जरूरी होगा PAN या अन्य OVDs
IBBI के संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत, अब सूचना उपयोगिताओं (IUs) को उन उपयोगकर्ताओं की पहचान सत्यापित करने के लिए PAN या अन्य आधिकारिक वैध दस्तावेजों (OVDs) का उपयोग करना अनिवार्य होगा, जो कॉर्पोरेट देनदारों (Corporate Debtors) की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
IBC के प्रावधानों के तहत, सूचना उपयोगिताओं को किसी भी कॉर्पोरेट देनदार (CD) की जानकारी का इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस बनाए रखना आवश्यक होगा। इसमें उसके ऋण, बैलेंस शीट, नकदी प्रवाह विवरण और परिसंपत्तियों से संबंधित रिकॉर्ड शामिल होंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संशोधन से IBBI की प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। इससे कॉर्पोरेट क्षेत्र में वित्तीय डेटा का अधिक सटीक और सुव्यवस्थित प्रबंधन संभव होगा।
PAN 2.0: सरकार ला रही डिजिटल पहचान का नया दौर
सरकार अब PAN 2.0 लेकर आ रही है, जो मौजूदा PAN सिस्टम का उन्नत डिजिटल संस्करण होगा। इसे m-Aadhaar या e-Aadhaar के समान विकसित किया जा रहा है, जिससे डिजिटल KYC और पहचान सत्यापन को अधिक सरल बनाया जा सके।
PAN 2.0 के तहत, डायनेमिक QR कोड जैसी नई सुविधाओं को जोड़ा जाएगा, जिससे KYC, पहचान सत्यापन और पते के प्रमाण (Proof of Address – PoA) के उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ता की पहचान को सत्यापित किया जा सकेगा।
सरकार ने मौजूदा PAN इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेड के लिए 1,435 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इसका उद्देश्य PAN Card को एक डिजिटल पहचान प्रमाण (Digital ID Proof) के रूप में उपयोगी बनाना है, जो कर भुगतान और वित्तीय लेन-देन को अधिक स्मार्ट और सुरक्षित बनाएगा।
क्या बदल जाएगा PAN 2.0 के आने से?
PAN 2.0 मौजूदा PAN 1.0 का एक अपग्रेडेड डिजिटल वर्जन होगा, जिसमें कई नई सुविधाएँ जोड़ी जाएंगी। इस नए संस्करण में डायनेमिक QR कोड होगा, जिससे उपयोगकर्ता की पहचान सत्यापित करने की प्रक्रिया तेज और अधिक सुरक्षित होगी। इसके अलावा, इसे डिजिटल रूप में m-Aadhaar या e-Aadhaar की तरह उपयोग किया जा सकेगा। वर्तमान में, PAN सिर्फ एक टैक्स आइडेंटिफायर के रूप में काम करता है, लेकिन PAN 2.0 के आने के बाद इसे पते के प्रमाण (Proof of Address – PoA) के रूप में इस्तेमाल किए जाने की संभावना है। सरकार ने इस डिजिटल अपग्रेड के लिए 1,435 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिससे KYC और वित्तीय लेन-देन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाया जा सकेगा।
PAN 2.0 को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि PAN 2.0 के QR कोड आधारित सत्यापन प्रणाली से बैंकिंग, निवेश और अन्य वित्तीय सेवाओं में KYC प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सरकार को इस प्रणाली के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत है, ताकि यह पूरी तरह से OVD के रूप में काम कर सके।
PAN वर्तमान में अनिवार्य तो है, लेकिन KYC के लिए अकेले पर्याप्त नहीं है। इसे अभी भी एक आईडी कार्ड (OVD) की जरूरत होती है। हालांकि, आधार से लिंक होने के कारण PAN पहले से ही KYC सत्यापन में सहायक भूमिका निभा रहा है। अगर PAN 2.0 को आधिकारिक OVD का दर्जा मिल जाता है, तो यह एक बड़ा बदलाव होगा।
PAN Card में हुए इस बदलाव से क्या होगा फायदा?
- वित्तीय प्रक्रिया होगी आसान: अब पहचान सत्यापन के लिए अलग दस्तावेज देने की जरूरत कम होगी।
- फ्रॉड और विवाद होंगे कम: पैन आधारित सत्यापन से गलत जानकारी और फ्रॉड के मामलों में कमी आएगी।
- कॉर्पोरेट सेक्टर को मिलेगा लाभ: कॉर्पोरेट कंपनियां आसानी से डेटाबेस और वित्तीय रिकॉर्ड्स को सत्यापित कर पाएंगी।
- डिजिटल इंडिया को बढ़ावा: PAN 2.0 एक डिजिटल इनोवेशन होगा, जो वित्तीय पहचान प्रणाली को अधिक स्मार्ट बनाएगा।