![सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, मेडिकल एडमिशन में खत्म हुआ मूल निवासी आरक्षण!](https://destinationnortheast.co.in/wp-content/uploads/2025/01/reservation-benefits-will-not-be-available-on-basis-of-domicile-in-pg-medical-courses-sc-big-decision-1024x576.jpg)
देशभर में मेडिकल एडमिशन (Medical Admission) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि पोस्टग्रेजुएट (PG) मेडिकल कोर्सेस में अब डोमिसाइल (Domicile) के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 (Article 14) का उल्लंघन करार देते हुए असंवैधानिक माना है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ, जिसमें जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी शामिल थे, ने यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि भारत में केवल एक ही डोमिसाइल होता है और वह है भारतीय नागरिकता। राज्य या प्रांतीय डोमिसाइल के आधार पर आरक्षण देना संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करता है।
संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला, डोमिसाइल आरक्षण असंवैधानिक
कोर्ट ने अपने फैसले में संविधान के अनुच्छेद 19 (Article 19) का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने, व्यापार करने और पेशेवर कार्य करने का अधिकार है। यह अधिकार शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के मामले में भी लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि डोमिसाइल के आधार पर कोई भी प्रतिबंध पोस्टग्रेजुएट (PG) मेडिकल एडमिशन प्रक्रिया में मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अंडरग्रेजुएट (MBBS) मेडिकल कोर्सेस में डोमिसाइल आधारित आरक्षण को कुछ हद तक लागू किया जा सकता है, लेकिन PG स्तर पर इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
PG मेडिकल कोर्सेस में विशेषज्ञता महत्वपूर्ण, डोमिसाइल आरक्षण से होगा नुकसान
सुप्रीम कोर्ट ने यह तर्क दिया कि पीजी मेडिकल कोर्स (PG Medical Courses) में विशेषज्ञता और कौशल (Expertise & Skills) महत्वपूर्ण होते हैं। इस स्तर पर किसी भी प्रकार का डोमिसाइल आधारित आरक्षण चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
जस्टिस सुधांशु धुलिया ने कहा, “PG मेडिकल कोर्स में विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत अधिक होती है। यदि हम इस स्तर पर डोमिसाइल आरक्षण लागू करते हैं, तो यह संविधान के अनुच्छेद 14 का सीधा उल्लंघन होगा। इससे देशभर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता और गुणवत्ता प्रभावित होगी।”
वर्तमान छात्रों को राहत, भविष्य में होगा असर
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर केवल आने वाले मेडिकल एडमिशन बैच पर पड़ेगा। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जो छात्र वर्तमान में PG मेडिकल कोर्स में पढ़ाई कर रहे हैं या जिन्होंने अपनी PG डिग्री पूरी कर ली है, उन्हें इस फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह फैसला केवल भविष्य के दाखिलों को प्रभावित करेगा।
केस की पृष्ठभूमि: हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हुई थी अपील
यह मामला 2019 में “डॉ. तन्वी बेहल बनाम श्रेयी गोयल और अन्य” (Dr. Tanvi Behl vs Shreya Goyal & Others) के संदर्भ में सामने आया था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) ने अपने फैसले में PG मेडिकल एडमिशन में डोमिसाइल आधारित आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मामले को ध्यान में रखते हुए इसे बड़ी पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया। अब तीन जजों की पीठ ने इस मामले पर अंतिम निर्णय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: क्या होगा असर?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर उन राज्यों पर पड़ेगा जो अपने यहां डोमिसाइल आरक्षण के आधार पर PG मेडिकल सीटों को आरक्षित रखते थे। अब मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया पूरी तरह से योग्यता (Merit-Based) पर निर्भर होगी।
इसके अलावा, यह फैसला मेडिकल प्रोफेशन में समान अवसर सुनिश्चित करने में मदद करेगा। अब किसी भी राज्य के छात्र को दूसरे राज्य में एडमिशन लेने से रोका नहीं जा सकेगा, जिससे मेडिकल क्षेत्र में प्रतियोगिता और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा।