Budget 2025: आपके घर जैसा ही होता है देश का बजट! जानिए सरकार कैसे तय करती है कहां और कितना होगा खर्च?

Budget 2025: आपके घर जैसा ही होता है देश का बजट! जानिए सरकार कैसे तय करती है कहां और कितना होगा खर्च?
Budget 2025: आपके घर जैसा ही होता है देश का बजट! जानिए सरकार कैसे तय करती है कहां और कितना होगा खर्च?

देश का वार्षिक बज 1 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार भी सरकार की वित्तीय रूपरेखा को देश के सामने रखेंगी। इस बजट को तैयार करने में लगभग 6 महीने का समय लगता है, जिसमें सरकार की आमदनी, खर्च, कर्ज और विकास योजनाओं का पूरा खाका तैयार किया जाता है।

घर के बजट जैसा ही होता है देश का बजट

जिस तरह हर परिवार अपनी आमदनी और खर्च को संतुलित करके बजट तैयार करता है, उसी तरह सरकार भी देश की आर्थिक योजना बनाती है। अंतर सिर्फ इतना है कि जहां परिवार अपनी मासिक आय और खर्च का ख्याल रखता है, वहीं सरकार को पूरे साल की आय-व्यय का हिसाब रखना होता है। सरकार अपनी दो जेबों को ध्यान में रखती है:

  1. Revenue (राजस्व) Income – बार-बार आने वाली कमाई और खर्च
  2. Capital (पूंजीगत) Income – कभी-कभार होने वाली कमाई और खर्च

सरकार कोशिश करती है कि बार-बार होने वाली कमाई (जैसे टैक्स से आय) अधिक से अधिक हो और बार-बार होने वाले खर्च (जैसे वेतन और पेंशन) को नियंत्रित किया जाए।

कहां से आती है सरकार की कमाई?

सरकार की कमाई के कई स्रोत होते हैं

  1. डायरेक्ट टैक्स – इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स
  2. इनडायरेक्ट टैक्स – जीएसटी, एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी
  3. नॉन-टैक्स रेवेन्यू – डिविडेंड, PSU की कमाई
  4. कर्ज और बॉन्ड्स – सरकारी बॉन्ड्स, अंतरराष्ट्रीय कर्ज
  5. निजीकरण और IPO – सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचना

कहां खर्च होता है बजट?

सरकार के खर्चे भी कई तरह के होते हैं:

  • Revenue Expenditure – सरकारी वेतन, पेंशन, सब्सिडी
  • Capital Expenditure – इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे, हाईवे, एयरपोर्ट
  • Defense Budget – सेना, हथियार, बॉर्डर सिक्योरिटी
  • Social Welfare – मनरेगा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रिन्यूएबल एनर्जी
  • Interest Payment – सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाना

संसद में ही क्यों पेश होता है बजट?

सरकार की कमाई कंसोलिडेटेड फंड (Consolidated Fund of India) में जाती है, जिसे खर्च करने के लिए लोकसभा की मंजूरी जरूरी होती है। जिस तरह से घर के ज्वाइंट अकाउंट से पैसा निकालने के लिए सभी मालिकों की सहमति जरूरी होती है, उसी तरह संसद की सहमति के बिना सरकार एक भी रुपये खर्च नहीं कर सकती।

कैसे बनता है बजट?

बजट बनाने की प्रक्रिया 6 महीने पहले शुरू होती है। सितंबर से ही विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों को उनके आवश्यक फंड का डेटा देने को कहा जाता है। वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय इस डेटा का विश्लेषण करते हैं और तय करते हैं कि किस मंत्रालय को कितनी रकम मिलेगी। इस दौरान इंडस्ट्री, बिजनेस ग्रुप्स और आर्थिक विशेषज्ञों से भी सलाह ली जाती है।

किसे कितना बजट मिलता है?

हर मंत्रालय चाहता है कि उसे अधिक से अधिक फंड मिले, लेकिन वित्त मंत्रालय यह तय करता है कि किस क्षेत्र को कितना बजट मिलेगा। मुख्य रूप से निम्नलिखित सेक्टरों को बजट बांटा जाता है जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर – सड़क, रेलवे, हवाईअड्डे , रक्षा (Defense) – सेना और हथियार,कृषि (Agriculture) – किसानों को सब्सिडी और योजनाएं,स्वास्थ्य (Healthcare) – सरकारी अस्पताल और दवाएं और शिक्षा (Education) – स्कूल, यूनिवर्सिटी और रिसर्च।

क्यों जरूरी है बजट?

बजट देश की आर्थिक नीति का दर्पण होता है। यह सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाता है और यह तय करता है कि किस क्षेत्र में निवेश किया जाएगा। साथ ही, यह आम जनता को यह भी बताता है कि सरकार उनकी आर्थिक भलाई के लिए क्या कदम उठा रही है

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