![Bulldozer Action: 177 अवैध मकानों पर चलेगा बुलडोजर, प्रशासन ने दिए तोड़फोड़ के आदेश!](https://destinationnortheast.co.in/wp-content/uploads/2025/02/bulldozer-action-177-houses-built-illegally-1024x576.jpg)
हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव सलीमपुर ट्राली में बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। यहां पंचायती जमीन पर अवैध रूप से बने 177 मकानों को गिराने का आदेश दिया गया है। सोनीपत SDM अमित कुमार की अदालत के आदेश पर तहसीलदार कार्यालय ने गांव के सरपंच और चौकीदार को इस संबंध में नोटिस जारी कर दिए हैं। यह कार्रवाई 7 फरवरी से शुरू होने की संभावना है, जिससे गांव में चिंता और असमंजस का माहौल बन गया है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
जानकारी के मुताबिक, यह मामला रघुवीर पुत्र दिलबाग सिंह और अन्य ग्रामीणों के बीच लंबे समय से चल रहा था। सलीमपुर ट्राली गांव पहले जुआ-2 पंचायत के अंतर्गत आता था। गांव के कई निवासियों ने पंचायत की जमीन पर अवैध रूप से मकान बना लिए थे। पूर्व सरपंच रघुवीर ने इस मामले को अदालत में उठाया, जिससे यह कानूनी विवाद बन गया। SDM कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि इन मकानों का निर्माण गैरकानूनी तरीके से हुआ है, इसलिए इन्हें हटाना जरूरी है।
प्रशासन का क्या कहना है?
सोनीपत जिला प्रशासन का कहना है कि न्यायालय के आदेश के बाद इन मकानों को गिराने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। पहले भी इस मामले में कई शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन अब कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बाद प्रशासन को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
तहसीलदार कार्यालय ने यह भी बताया कि गांव के सरपंच और चौकीदार को नोटिस भेजकर इस बारे में जानकारी दी गई है और कार्रवाई की रूपरेखा तय कर दी गई है। अब यह तय है कि 7 फरवरी से बुलडोजर चलाया जाएगा।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों में भय और गुस्से का माहौल है। कई ग्रामीणों का कहना है कि वे यहां कई वर्षों से रह रहे हैं और अब अचानक से मकान तोड़े जाने का नोटिस मिलने से वे चिंतित और असमंजस में हैं। कुछ लोगों ने प्रशासन से कार्रवाई रोकने की अपील भी की है।
हालांकि, कुछ ग्रामीणों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर पंचायती जमीन पर कब्जा किया और वहां मकान बना लिए। इस पर SDM कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया कि अवैध निर्माणों को गिराने का फैसला अंतिम है।
केस की पृष्ठभूमि
साल 2010 में गांव में पैमाइश कराई गई थी, लेकिन तब यह स्पष्ट नहीं था कि गांव की सीमा (लाल डोरा) कहां तक फैली हुई है। पूर्व सरपंच रघुवीर ने अपने कार्यकाल के दौरान गांव में अवैध निर्माणों की जानकारी जुटाई और इसे न्यायालय में चुनौती दी।
रघुवीर ने दो बार सरपंच पद का चुनाव जीता, लेकिन तीसरी बार हार गए। इसके बाद राजनीतिक रंजिश के चलते उन्होंने पंचायती जमीन पर बने मकानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और मामला कोर्ट तक पहुंच गया। पहले इस मुद्दे को प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन अंततः DC और SDM कोर्ट में केस हारने के बाद अब कार्रवाई की जा रही है।
आगे क्या होगा?
गांव के लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन उनकी अपील सुनेगा और कोई विकल्प प्रदान करेगा। हालांकि, प्रशासन का रुख कड़ा नजर आ रहा है और बुलडोजर कार्रवाई की पूरी योजना बन चुकी है।