![Maha Kumbh 2025: अखाड़ों का रोजाना 25 लाख रुपये का खर्च! जानिए कहां से आता है इतना पैसा, कैसे भरते हैं इनकम टैक्स?](https://destinationnortheast.co.in/wp-content/uploads/2025/01/Akharas-Spend-25L-Daily-know-Source-of-Income-Tax-Explained-1024x576.jpg)
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में अखाड़ों की भव्यता और उनकी विशाल व्यवस्थाओं ने सबका ध्यान आकर्षित किया। मौनी अमावस्या स्नान के दौरान अखाड़ों के साधु-संतों ने अमृत स्नान किया, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अखाड़ों का संचालन कैसे होता है और वे अपनी आय और खर्च का हिसाब कैसे रखते हैं। दिलचस्प बात यह है कि अखाड़े महाकुंभ में धन कमाने नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर दान करने के लिए आते हैं।
अखाड़ों के चार्टर्ड अकाउंटेंट रखते हैं हिसाब
अखाड़ों का वित्तीय प्रबंधन अत्यंत संगठित होता है। हर अखाड़े के पास अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट होते हैं, जो उनकी वित्तीय गतिविधियों का हिसाब रखते हैं। अखाड़ों की संपत्ति, आय और दान का पूरा रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। कुंभ मेले में किए गए खर्च और आय को पारदर्शिता से दर्ज किया जाता है। यही कारण है कि अखाड़ों को अपनी वित्तीय स्थिति का पूरा अंदाजा होता है।
मेले में दान करने आते हैं अखाड़े
महाकुंभ में अखाड़े अपनी समृद्ध विरासत और परंपराओं के साथ दान-पुण्य के उद्देश्य से शामिल होते हैं। हर दिन लाखों श्रद्धालु अखाड़ों के शिविरों में भोजन, रहने और आध्यात्मिक ज्ञान का लाभ लेते हैं। अखाड़ों का मुख्य उद्देश्य समाज सेवा, धर्म प्रचार और सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाना होता है।
रोजाना 25 करोड़ रुपये तक का खर्च
महाकुंभ के दौरान अखाड़ों का प्रतिदिन का खर्च 25 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है। इस राशि का उपयोग विशाल शिविरों के संचालन, साधु-संतों के खान-पान, सुरक्षा, धर्मोपदेश, रथ यात्रा और अन्य आयोजनों पर किया जाता है। कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों को अपने अनुयायियों, दानदाताओं और भक्तों का भरपूर समर्थन मिलता है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत बनी रहती है।
अखाड़ों में दो प्रधान भी होते हैं नियुक्त
अखाड़ों का संचालन एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक तंत्र के तहत होता है। प्रत्येक अखाड़े में दो प्रधान होते हैं, जो वित्तीय निर्णयों और संचालन की निगरानी करते हैं। इसके अलावा, अखाड़े का प्रमुख नेतृत्व श्रीमहंत और सचिव के हाथों में होता है। ये पदाधिकारी अखाड़ों की गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करते हैं और महाकुंभ में अखाड़ों की उपस्थिति को प्रभावशाली बनाते हैं।
अखाड़ों की कमाई के प्रमुख स्रोत
अखाड़ों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती है, क्योंकि उनकी कमाई के विभिन्न स्रोत होते हैं। मठों और मंदिरों से होने वाली आय इसका मुख्य स्रोत होती है। इसके अलावा, श्रद्धालु और दानदाता नियमित रूप से दान करते हैं। कई अखाड़ों के पास कृषि भूमि होती है, जिससे होने वाली आय भी इनके संचालन में सहायक होती है। इसके अतिरिक्त, धार्मिक आयोजन, भंडारे और विशेष अनुष्ठानों से भी अखाड़ों को आय प्राप्त होती है।
अखाड़े भरते हैं इनकम टैक्स रिटर्न
अखाड़ों की आय का हिसाब-किताब पारदर्शी रखने के लिए वे इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल करते हैं। सरकार द्वारा धार्मिक ट्रस्टों और संगठनों के लिए बनाए गए नियमों का पालन करते हुए, अखाड़े अपनी आय और खर्च का ब्यौरा देते हैं। मठों और मंदिरों की संपत्तियों और दान से होने वाली आमदनी का उचित लेखा-जोखा तैयार किया जाता है, जिससे कानूनी बाधाओं से बचा जा सके।
कुंभ मेले में होती है भारी धनराशि की खपत
महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है, जिसमें अखाड़ों द्वारा संचित धन और दान का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। 6 वर्षों में संचित आय का एक बड़ा हिस्सा महाकुंभ में खर्च किया जाता है। इस दौरान विशाल शिविर, भव्य आयोजन, श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भोजन और रहने की व्यवस्था की जाती है। यह सब अखाड़ों के अनुयायियों और दानदाताओं के सहयोग से संभव होता है।