![Income Tax Calculation: 10, 20, 30 या 50 हजार कमाते हैं? जानें कितना लगेगा टैक्स ऐसे करें कैलकुलेट](https://destinationnortheast.co.in/wp-content/uploads/2025/02/how-to-calculate-taxable-income-check-step-by-step-process-1024x576.jpg)
हर व्यक्ति को अपनी इनकम पर टैक्स भरना होता है, लेकिन इसका सही-सही कैलकुलेशन करना कई बार मुश्किल हो जाता है। खासकर जब टैक्स छूट (Tax Exemption) का मामला हो तो यह प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है। अगर आप टैक्स छूट के लिए क्लेम नहीं करते हैं, तो आपको रिफंड के तौर पर मिलने वाली रकम भी नहीं मिलेगी। इसलिए यह समझना बेहद जरूरी है कि आपकी टैक्सेबल इनकम (Taxable Income) क्या है और आपको कितना टैक्स देना होगा।
कैसे करें अपनी टैक्सेबल इनकम की गणना?
भारत में इनकम टैक्स कैलकुलेट करने के लिए कई स्टेप्स होते हैं, जिनका पालन करके आप अपनी टैक्स देनदारी को कम कर सकते हैं और ITR फाइल करने में भी आसानी होगी। आइए जानते हैं इस प्रक्रिया को विस्तार से।
ग्रॉस सैलरी निकालें
सबसे पहले अपनी ग्रॉस इनकम (Gross Income) का पता लगाएं। यदि आप सैलरीड एम्प्लॉई (Salaried Employee) हैं, तो आपकी बेसिक सैलरी, अलाउंसेज, बोनस और अन्य टैक्सेबल कंपोनेंट्स जोड़कर कुल ग्रॉस इनकम निकाली जाती है। वहीं, यदि आपकी इनकम कई स्रोतों से हो रही है, तो सभी इनकम को जोड़कर ग्रॉस इनकम निकालें।
टैक्स छूट का लाभ लें
आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के तहत कई ऐसे कंपोनेंट्स हैं, जिन पर टैक्स छूट मिलती है। इनमें प्रमुख रूप से हाउस रेंट अलाउंस (HRA), स्टैंडर्ड डिडक्शन, लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) जैसी छूटें शामिल हैं। आपको यह चेक करना चाहिए कि आपकी इनकम इनमें से किन श्रेणियों में आती है और जितनी छूट मिल सकती है, उतनी ग्रॉस इनकम से घटा दें।
कटौती (डिडक्शन) का फायदा उठाएं
टैक्स छूट के अलावा, विभिन्न कटौतियों (Deductions) का लाभ उठाकर भी अपनी टैक्सेबल इनकम को कम किया जा सकता है। धारा 80C के तहत, आप पीएफ (Provident Fund), लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, PPF, ELSS जैसी स्कीमों में निवेश कर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ उठा सकते हैं। धारा 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम (Health Insurance Premium) पर छूट मिलती है। यदि आपने होम लोन लिया है, तो उसके ब्याज पर छूट मिलती है। इसके अलावा, शिक्षा ऋण (Education Loan) पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है।
टैक्सेबल इनकम का निर्धारण
इन सभी कटौतियों और छूटों को घटाने के बाद जो राशि बचती है, वही आपकी टैक्सेबल इनकम होती है। टैक्सेबल इनकम वह रकम होती है जिस पर सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। भारत में दो प्रकार के टैक्स रिजीम हैं – नया टैक्स रिजीम (New Tax Regime) और पुराना टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) नए टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता, जबकि पुराने टैक्स रिजीम में 5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स छूट मिलती है। इस तरह, टैक्सेबल इनकम को सही ढंग से समझने और टैक्स स्लैब के अनुसार इसे कम करने से आपकी टैक्स देनदारी घट सकती है।
कितना देना होगा टैक्स?
अगर आपकी टैक्सेबल इनकम 10, 20, 30 या 50 हजार रुपये आती है, तो आप अपने स्लैब के अनुसार टैक्स की गणना कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपकी टैक्सेबल इनकम 10,000 रुपये है, तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। और 50,000 रुपये तक है, तो टैक्स स्लैब के अनुसार न्यूनतम टैक्स देनदारी तय होगी। इसके आलावा 5 लाख रुपये तक की इनकम पर पुराने टैक्स रिजीम में छूट मिलती है, जबकि नए टैक्स रिजीम में 7 लाख तक की इनकम पर टैक्स फ्री है।
ITR भरकर रिफंड का लाभ उठाएं
अगर आपकी ग्रॉस इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती, लेकिन टैक्स कट चुका है, तो आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरकर रिफंड के लिए क्लेम कर सकते हैं। सही तरीके से ITR फाइल करने के बाद कुछ दिनों में आपका कटा हुआ पैसा वापस आपके अकाउंट में आ जाएगा।
कैसे करें अपना इनकम टैक्स बचत? ये आसान तरीके करेंगे आपकी मदद!
टैक्स प्लानिंग (Tax Planning) सही तरीके से करने पर आपकी टैक्स देनदारी कम हो सकती है। अगर आप टैक्स छूट और कटौती का पूरा लाभ उठाना चाहते हैं, तो अभी से अपने निवेश और खर्चों को सही ढंग से प्लान करें। ITR फाइल करने से पहले अपनी टैक्सेबल इनकम का सही आकलन करें ताकि आपको किसी भी तरह की अतिरिक्त देनदारी का सामना न करना पड़े।