![सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने पर भारी जुर्माना! जानें कितना रखना है बैलेंस](https://destinationnortheast.co.in/wp-content/uploads/2025/01/minimum-balance-amount-in-savings-account-1024x576.jpg)
अगर आपने किसी भी बैंक में अपना सेविंग अकाउंट खोल रखा है, तो आपको उसमें एक मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी होता है। अगर आप अपने अकाउंट में बैंक द्वारा तय की गई न्यूनतम राशि नहीं रखते हैं, तो बैंक आप पर नॉन-मेंटेनेंस चार्ज लगा सकता है। इस फाइन से बचने के लिए आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि किस बैंक में कितना मिनिमम बैलेंस रखना आवश्यक है।
देश के कई सरकारी और निजी बैंकों ने अपने ग्राहकों के लिए सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस की शर्त तय कर रखी है। यह बैलेंस बड़े शहरों, छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकता है। अगर आपका खाता इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो बैंक द्वारा मासिक, तिमाही या वार्षिक आधार पर चार्ज लिया जा सकता है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की मिनिमम बैलेंस लिमिट
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), जो देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक है, उसमें मिनिमम बैलेंस रखने की अलग-अलग शर्तें हैं। बड़े शहरों में स्थित शाखाओं के लिए यह बैलेंस 3000 रुपये निर्धारित किया गया है। वहीं, छोटे शहरों में यह सीमा घटकर 2000 रुपये हो जाती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों को अपने अकाउंट में कम से कम 1000 रुपये बनाए रखने की आवश्यकता होती है। अगर आप इस बैलेंस को मेंटेन नहीं करते हैं, तो बैंक आप पर नॉन-मेंटेनेंस चार्ज लगा सकता है।
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के नियम
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में भी सेविंग अकाउंट के लिए मिनिमम बैलेंस की सीमा तय की गई है। बड़े शहरों में स्थित PNB की शाखाओं में यह सीमा 2000 रुपये रखी गई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह घटकर 1000 रुपये रह जाती है। यदि ग्राहक इस न्यूनतम सीमा को मेंटेन नहीं करता है, तो बैंक उसे पेनल्टी चार्ज कर सकता है।
HDFC बैंक की मिनिमम बैलेंस सीमा
अगर आप HDFC बैंक के ग्राहक हैं, तो आपको इस बैंक के सख्त नियमों से परिचित होना चाहिए। HDFC बैंक ने अपने मेट्रो शहरों के ग्राहकों के लिए मिनिमम बैलेंस 10,000 रुपये निर्धारित किया है। इसके अलावा, छोटे शहरों और कस्बों के लिए यह सीमा 5000 रुपये तक हो सकती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों को कम से कम 2500 रुपये अपने खाते में बनाए रखने होंगे।
अगर खाताधारक इस न्यूनतम राशि को मेंटेन करने में असमर्थ रहता है, तो बैंक द्वारा मासिक शुल्क के रूप में नॉन-मेंटेनेंस चार्ज लिया जाता है।
मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने पर लग सकता है जुर्माना
बैंकों की ओर से मिनिमम बैलेंस बनाए रखने का नियम इसलिए लागू किया जाता है ताकि उनके संचालन में किसी तरह की वित्तीय समस्या न हो। यदि कोई ग्राहक इस बैलेंस को बनाए नहीं रखता, तो बैंक उसे पेनल्टी के रूप में मासिक चार्ज लगा सकता है। यह चार्ज बैंक और खाते के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
बैंक की वेबसाइट और ग्राहक सेवा केंद्र से आप अपने खाते की आवश्यक न्यूनतम बैलेंस की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आप पर कोई अतिरिक्त चार्ज न लगे, तो ऑटो-डेबिट सुविधा या बैलेंस अलर्ट सेट करके अपने खाते में आवश्यक बैलेंस बनाए रखें।
बैंक में पर्याप्त बैलेंस रखना क्यों है जरूरी?
बैंक में मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने के कई फायदे हैं जैसे दि आपका बैलेंस तय सीमा से कम हो जाता है, तो आपको बैंक द्वारा लगाए गए चार्ज से बचने के लिए बैलेंस बनाए रखना चाहिए। साथ ही चेकबुक, एटीएम कार्ड, नेट बैंकिंग इत्यादि निर्बाध रूप से चलते रहें, इसके लिए अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस होना भी जरूरी है। इसके आलावा अगर बार-बार आपके खाते का बैलेंस कम हो जाता है और बार-बार बैंक चार्ज करता है, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है।
नॉन-मेंटेनेंस चार्ज से बचने के उपाय
अगर आप बार-बार मिनिमम बैलेंस न रखने की समस्या से जूझ रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
- जीरो बैलेंस अकाउंट खोलें – अगर आपको मिनिमम बैलेंस रखना मुश्किल हो रहा है, तो आप जन धन योजना, सैलरी अकाउंट, या अन्य जीरो बैलेंस सेविंग अकाउंट खोल सकते हैं।
- बैलेंस अलर्ट सेट करें – अपने मोबाइल बैंकिंग ऐप या नेट बैंकिंग के जरिए बैलेंस अलर्ट सेट करें ताकि आपको बैलेंस कम होने पर पहले से ही जानकारी मिल जाए।
- फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) लिंक करें – कुछ बैंक ऐसे अकाउंट भी ऑफर करते हैं, जिनमें यदि सेविंग अकाउंट में बैलेंस कम हो जाए, तो ऑटोमेटिक FD ब्रेक होकर मिनिमम बैलेंस मेंटेन हो जाता है।
- ऑटो-क्रेडिट सुविधा का उपयोग करें – आप अपने खाते में ऑटो-क्रेडिट की सुविधा चालू कर सकते हैं, जिससे आपके वेतन या अन्य स्रोतों से आने वाला पैसा सीधा सेविंग अकाउंट में जमा हो सके।
निष्कर्ष
हर बैंक अपने सेविंग अकाउंट के लिए मिनिमम बैलेंस की एक सीमा तय करता है, और अगर ग्राहक इस सीमा से कम बैलेंस रखते हैं, तो उन्हें पेनल्टी चार्ज देना पड़ता है। SBI, PNB और HDFC बैंक की मिनिमम बैलेंस नीतियां अलग-अलग शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भिन्न हैं। अगर आप इस चार्ज से बचना चाहते हैं, तो बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम राशि का पालन करें या जीरो बैलेंस अकाउंट जैसी सुविधाओं का लाभ उठाएं।